Mohsin Naqvi Shayari Collection

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हैरान हूँ के मुद्दत-ए-क़लील में मोहसिन,
वो शख्स मेरी सोच से ज़्यादा बदल गया।
Hairan Hoon Ke Muddat-e-Qaleel Mein Mohsin,
Wo Shakhs Meri Soch Se Zyada Badal Gaya.

उसकी चाहत का भरम क्या रखना,
दश्त-ए-हिजरां में क़दम क्या रखना,
हँस भी लेना कभी खुद पर मोहसिन,
हर घडी आँख को नम क्या रखना।
Uski Chaahat Ka Bharam Kya Rakhna,
Dasht-e-Hizran Mein Kadam Kya Rakhna,
Hans Bhi Lena Kabhi Khud Par Mohsin,
Har Ghadi Aankh Ko Nam Kya Rakhna.

हजूम में था वो खुल कर न रो सका होगा,
मगर यकीन है कि शब भर न सो सका होगा।
Hajoom Mein Tha Wo Khul Kar Na Ro Saka Hoga,
Magar Yakeen Hai Ki Shab Bhar Na So Saka Hoga.

हमसे बेवफ़ाई की इन्तहा क्या पूछते हो मोहसिन,
वो हम से प्यार सीखता रहा किसी और के लिए।
Humse Bewafai Ki Inteha Kya Poochhte Ho Mohsin,
Wo Hum Se Pyar Seekhta Raha Kisi Aur Ke Liye.

आज इस उजड़े हुए शहर में मोहसिन हमको,
अपने बिछड़े हुए यार की बहुत याद आयी।
Aaj Iss Ujde Huye Sheher Mein Mohsin Humko,
Apne Bichhde Huye Yaar Ki Bahut Yaad Aayi.

मेरी तन्हाई को जरुरत है तुम्हारी मोहसिन
अगर इजाज़त हो तो यादों मैं बसा लूँ तुमको।
Meri Tanhaai Ko Jarurat Hai Tumhari Mohsin
Agar Ijazat Ho To Yaadon Meim Basa Loon Tumko.

जो तेरी मुंतज़िर थी वह आँखें ही बुझ गयीं,
अब क्यों सजा रहा है चिराग़ों से शाम को।
Jo Teri Muntzir Thi Woh Aankhein Hi Bujh Gayin,
Ab Kyun Sajaa Raha Hai Chiraghon Se Shaam Ko.

कौन कहता है नफ़रतों में दर्द है मोहसिन,
कुछ मोहब्बतें भी बड़ी अज़ीयत नाक होती हैं।
Kaun Kehta Hai Nafraton Mein Dard Hai Mohsin,
Kuchh Mohabbatein Bhi Badi Aziyat Naak Hoti Hain.

ज़माने भर की निगाहों में जो खुदा सा लगे,
वो अजनबी है मगर मुझ को आशना सा लगे,
न जाने कब मेरी दुनिया में मुस्कुराएगा,
वो शख्स जो ख्वाबों में भी खफा सा लगे।

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अब तो जान ही देने की बारी है मोहसिन,
मैं कहाँ तक साबित करूँ कि वफ़ा है मुझमें।
Ab To Jaan Hi Dene Ki Baari Hai Mohsin,
Main Kahan Tak Saabit Karun Ki Wafa Hai Mujhme.

वो शख़्स जिसको समझने में मुझको उम्र लगी,
बिछड़ के मुझसे किसी का हो न सका होगा।
Wo Shakhs Jisko Samajhney Mein Mujhko Umar Lagi,
Bichhad Ke Mujhse Kisi Ka Ho Na Saka Hoga.

कोई बरसात ऐसी हो जो तेरे संग बरसे मोहसिन,
तनहा तो मेरी आँखें हर रोज़ बरसती हैं।
Koi Barsaat Aisi Ho Jo Tere Sang Barase Mohsin,
Tanha To Meri Aankhein Har Roz Barasti Hain.

जब से उसने शहर छोड़ा हर रस्ता सुनसान हुआ,
अपना क्या है सारे शहर का एक जैसा नुकसान हुआ,
ये दिल ये आसेब की नगरी मस्कन सोचूँ वहमों का,
सोच रहा हूँ इस नगरी में तू कब से मेहमान हुआ।
Jab Se Usne Shehar Chhoda Har Raasta Sunsaan Hua,
Apna Kya Hai Saare Shehar Ka Ek Jaisa Nuksaan Hua,
Ye Dil Ye Aaseb Ki Nagri Maskan Sochoon Vehmon Ka,
Soch Raha Hun Iss Nagri Mein Tu Kab Se Mehman Hua.

गुमसुम सी रहगुज़र थी किनारा नदी का था,
पानी में चाँद, चाँद में चेहरा किसी का था।
GumSum Si Rahguzar Thi Kinara Nadi Ka Tha,
Paani Mein Chaand, Chaand Mein Chehra Kisi Ka Tha.

मज़ा देती हैं उनको ज़िन्दगी की ठोकरें मोहसिन,
जिनको नाम-ए-खुदा ले कर संभल जाने की आदत हो।
Maza Deti Hain Unko Zindagi Kee Thokarein Mohsin,
Jinko Naam-e-Khudaa Le Kar Sambhal Jaane Ki Aadat Ho.

एक पल में ज़िन्दगी भर की उदासी दे गया,
वो जुदा होते हुए कुछ फूल बासी दे गया,
नोच कर शाखों के तन से खुश्क पत्तों का लिबास,
ज़र्द मौसम बाँझ रुत को बे-लिबासी दे गया।

कश्ती अभी उम्मीद की डूबी तो नहीं है,
फिर क्यों तेरी आँखों में ये तूफ़ान हैं मोहसिन।
Kashti Abhi Umeed Ki Doobi To Nahi Hai,
Fir Kyun Teri Aankhon Mein Ye Toofan Hain Mohsin.

मुन्हसिर अहल-ए-सितम पर ही नहीं है मोहसिन,
लोग अपनों की इनायत से भी मर जाते हैं।
Munhasir Ehl-e-Sitam Par Hi Nahin Hai Mohsin,
Log Apnon Ki Inaayat Se Bhi Mar Jate Hain.

अभी कमसिन हो, रहने दो, कहीं खो दोगी दिल मेरा,
तुम्हारे ही लिए रखा है, ले जाना जवान हो कर।
Abhi Kamsin Ho, Rehne Do, Kahin Kho Dogi Dil Mera,
Tumhare Hi Liye Rakha Hai, Le Jaana Jawaan Ho Kar.

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